मध्यप्रदेश में 5 किसानों की हत्या के विरोध में बर्तोल्त ब्रेख्त की एक प्रासंगिक कविता - आठ हजार गरीब लोगों का नगर के बाहर इकट्ठा होना 🖋 कुंदन सिंह कनिष्क आठ हजार से अधिक बेरोजगार खानकर्मी, अपने बीवी-बच्चों समेत बुडापेस्ट के बाहर साल्गोटार्जन रोड पर जामा हो रहे हैं। उन्होंने अपने अभियान में पहली दो रातें बिना कुछ खाये-पिये ही गुजार दी है। उनके शरीर पर बेहद नाकाफी जीर्ण-शीर्ण कपड़े हैं। देखने में वे बस हड्डियों के ढांचे ही भर हैं। अगर वे खाना और काम पाने में नाकाम रहे, तो उन्होंने कसम खा रखी है कि वे बुडापेस्ट पर धावा बोल देंगे, भले ही इससे खून-खराबा ही क्यों न शुरू हो जाये, उनके पास अब खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। बुडापेस्ट क्षेत्र में सैनिक बल तैनात कर दिये गये हैं, तथा उन्हें सख्त आदेश दे दिये गये हैं कि अगर लेशमात्र भी शांति भंग तो वे अपने आग्नेयास्त्र इस्तेमाल करें।’ ........................................ हम जा पहुँचे सबसे बड़े शहर में हममें से 1000 भूख से पीड़ित थे 1000 के पास खाने को कुछ नहीं था 1000 को खाना चाहिए था। जनरल ने अपनी खिड़की से देखा